सिर्फ मुस्लिम होगा अगला यूपी का वज़ीरे आज़म: मौलाना आमिर रशादी मदनी

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मुरादाबाद। समाजवादी पार्टी ने हमेशा मुस्लिमों के वोट लेकर उनका इस्तेमाल किया है। प्रदेश की कानून व्यवस्था जहां पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। वहीं अखिलेश सरकार लोगों को डराकर राजनीति कर रही है। उक्त बातें राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल एवं राजनीतिक परिवर्तन महासंघ के संयोजक मौलाना आमिर रशादी मदनी ने मुरादाबाद पहुंचने पर कही। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में महासंघ सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। साथ ही कहा कि अगर वे चुनाव जीतते हैं तो यूपी का अगला मुख्यमंत्री मुस्लिम समुदाय से ही होगा। इस पर सहमति भी बन चुकी है।

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राजनीतिक परिवर्तन महासंघ के संयोजक मौलाना आमिर रशादी मदनी ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान यूपी की अखिलेश सरकार के साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार को भी जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि लोग आज भी अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन केंद्र में बैठी भाजपा सरकार ने अभी तक लोगों को अच्छे दिनों का कोई अहसास नहीं कराया है।

प्रदेश की कानून व्यवस्था चौपट 
समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुस्लिमों के वोट लेकर उनका इस्तेमाल किया है। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। अापराधिक छवि के लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। अब जनता इससे आजिज आ चुकी है। इसलिए विकल्प तलाश रही है। 

अब मुस्लिम नुमाइंदगी की जरुरत
महासंघ के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए अब मुस्लिम नुमाइंदगी की जरुरत है। 19 अप्रैल को लखनऊ स्थित गांधी भवन में 16 राजनीतिक संगठनों का महासंघ बनाया गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में महासंघ के पदाधिकारी सभी 403 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। साथ ही यह भी तय किया गया है कि जीतने पर मुख्यमंत्री मुस्लिम समुदाय से ही बनेगा, ताकि अल्पसंख्यकों के अलावा अन्य सभी वर्गों का विकास हो सके।

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पाकिस्तान के होंगे टुकड़े-टुकड़े भारत दे सकता है बलूचिस्तान का साथ।

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चीन की मदद से बन रहे ग्वादर पोर्ट के इलाके में पिछले कुछ सालों से चल रहा आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। इस आंदोलनों को बलूचिस्तान से जुड़े तीन प्रतिबंधित संगठनों से बड़ी चुनौती मिल रही है।

इन तीन संगठनों ने चीन समेत तमाम देशों को धमकी दी है कि अगर उन्होंने ग्वादर में अपना दखल बढ़ाया तो खैर नहीं होगी। इन संगठनों का आरोप है कि ग्वादर में चीन जो भी निवेश कर रहा है उसका असली मकसद बलूचिस्तान का नहीं बल्कि चीन का फायदा करना है। बलूचिस्तान के प्रतिबंधित संगठनों ने धमकी दी है कि चीन समेत दूसरे देश ग्वादर में अपना पैसा बर्बाद ना करें, दूसरे देशों को बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा को लूटने नहीं दिया जाएगा। इन संगठनों ने बलूचिस्तान में काम कर रहे चीनी इंजीनियरों पर हमले बढ़ा दिए हैं।

आपको बता दें कि 790 किलोमीटर के समुद्र तट वाले ग्वादर इलाके पर चीन की हमेशा से नजर रही है। पाकिस्तान को साथ समझौता होने के बाद चीन ग्वादर पोर्ट का विकास कर रहा है। दावा ये कि ग्वादर पोर्ट बनने के बाद पूरे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संभल जाएगी। लेकिन इन दावों की पोल बलूचिस्तान के लोग खोल रहे हैं। बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि ऐसे में बलूचिस्तान के लोग और नेता लगातार अपने आंदोलन को धार देते जा रहे हैं। उनका दावा है कि जैसे 1971 में पाकिस्तान से कटकर बांग्लादेश बन गया था उसी तरह एक दिन बलूचिस्तान भी बन जाएगा।

बलूचिस्तान के लोग किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं। आपको बता दें कि बलूचिस्तान पाकिस्तान के पश्चिम का राज्य है जिसकी राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तान के पड़ोस में ईरान और अफगानिस्तान है। 1944 में ही बलूचिस्तान को आजादी देने के लिए माहौल बन रहा था। लेकिन 1947 में इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तभी से बलूच लोगों का संघर्ष चल रहा है और उतनी ही ताकत से पाकिस्तानी सेना और सरकार बलूच लोगों को कुचलती रही है।

आजादी की लड़ाई के दौरान भी बलूचिस्तान के स्थानीय नेता अपना अलग देश चाहते थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज और हथियार के दम पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया तो वहां विद्रोह भड़क उठा था। वहां की सड़कों पर अब भी ये आंदोलन जिंदा है।

बलूचिस्तान में आंदोलन के चलते पाकिस्तान ने विकास की हर डोर से इस इलाके को काट रखा है। लोगों के दिन की शुरुआत दहशत के साथ होती है। करीमा बलूच की तरह की यहां के कई नेता विदेश में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं और वहीं रहकर पाकिस्तान से आजादी की मांग उठा रहे हैं। अब जब पाकिस्तान में सियासी हालात बिगड़ रहे है तो इन नेताओं ने अपना आंदोलन तेज करते हुए दुनिया भर के देशों से तुरंत बलूचिस्तान से मदद की गुहार लगाई है। मदद की सबसे ज्यादा उम्मीद बलूचिस्तान को भारत से है।

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तलवार के एक ही वार से दुश्मन मुगलो के कर देते थे दो टुकड़े, ऐसे वीर थे महाराणा प्रताप

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उदयपुर. पूरे देश में महाराणा प्रताप की 476वीं जयंती मनाई जा रही है। प्रताप ऐसे योद्धा थे, जो कभी मुगलों के आगे नहीं झुके। उनका संघर्ष इतिहास में अमर है। महाराणा, उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के बेटे थे। दुश्मन भी उनकी युद्धकला की तारीफ करते थे। इतिहासकारों के मुताबिक, महाराणा का परिवार भी काफी बड़ा था। प्रताप का जन्म हुआ और महाराणा उदयसिंह का भाग्योदय होने लगा…

 

 

– 9 मई 1540 को प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ किले में हुआ था।

– उनके जन्म के साथ ही महाराणा उदयसिंह ने खोए हुए चित्तौड़ किले को जीत लिया था।

– इस विजय यात्रा में जयवंता बाई भी उदयसिंह के साथ थीं। चित्तौड़ विजय के बाद उदयसिंह ने कई राजघरानों में शादियां की।

– जिसके बाद प्रताप की मां जयवंता बाई के खिलाफ षड्यंत्र शुरू हो गया।

– जयंवता बाई बालक प्रताप को लेकर चित्तौड़ दुर्ग से नीचे बनी हवेली में रहने लगीं। यहीं से प्रताप की ट्रेनिंग शुरू हुई।

प्रताप को मिली थी कृष्ण के युद्ध कौशल जैसी ट्रेनिंग

 

प्रताप की मां जयवंता बाई खुद एक घुड़सवार थीं और उन्होंने अपने बेटे को भी दुनिया का बेहतरीन घुड़सवार और शूरवीर बनाया। वे कृष्ण भक्त थीं, इसलिए कृष्ण के युद्ध कौशल को भी प्रताप के जीवन में उतार दिया। उन्हें प्रशासनिक दक्षता सिखाई और रणनीतिकार बनाया।

 

रोंगटे खड़ा कर देने वाला है युद्ध का आंखों देखा बयान

 

चारण रामा सांदू ने आंखों देखा हाल लिखा है कि प्रताप ने मान सिंह पर वार किया। वह झुककर बच गया, महावत मारा गया। बेकाबू हाथी को मान सिंह ने संभाल लिया। सबको भ्रम हुआ कि मान सिंह मर गया। दूसरे ही पल बहलोल खां पर प्रताप ने ऐसा वार किया कि सिर से घोड़े तक के दो टुकड़े कर दिए।

 

युद्ध में प्रताप को बंदूक की गोली सहित आठ बड़े घाव लगे थे। तीर-तलवार की अनगिनत खरोंचें थीं। प्रताप के घावों को कालोड़ा में मरहम मिला। इस पर बदायूनी लिखते हैं कि ऐसे वीर की ख्याति लिखते मेरी कलम भी रुक जाती है।

 

208 किलो का वजन लेकर लड़ते थे प्रताप
 
– महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था।

– उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।

– महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। 

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9 नवंबर से शरू होगा राम मंदिर निर्माण, राम मंदिर बना तो देश को तबाह कर देंगे -हाशिम अंसारी

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फैजाबाद । बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी ने साधुओं के बयान पर नारजगी जताई है. हाशिम ने कहा है कि कोई भी कानून का मजाक न उड़ाए नहीं तो मुल्क तबाह हो जाएगा ।

बता दें कि सिहंस्थ कुंभ में साधु-संतों ने अयोध्या में राम मंदिर बनने की तारिख घोषणा कर दी है । उन्होंने ऐलान किया है कि 77 एकड़ की जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का कार्य इस साल 9 नवंबर से शुरू हो जाएगा ।

हाशिम अंसारी ने कहा है कि मस्जिद को तो तोड़ ही दिया गया है, लेकिन अगर मंदिर बनाने की कोशिश हुई तो मंदिर तो बना लोगे लेकिन मुल्क तबाह और बर्बाद हो जाएगा ।

केशव मौर्य ने किया संतों के फैसले का सम्मान 
उत्तर प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने संतों के फैसले का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन संतों का भी आदर करते हैं । उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि निर्माण कार्य आज से शुरू हो जाए । लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने मामला विचाराधीन है, जब निर्णय हो जाए तो तब बनेगा । संतों ने जो कहा हम उसका आदर करते हैं’ ।

कौन हैं हाशिम अंसारी?
उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में रहने वाले हाशिम अंसारी उस समय मशहूर हुए थे जब उन्होंने ढाई दशक पहले बाबरी मस्जिद गिराए जाने के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की थी और कोर्ट पहुंचे थे. हाशिम अंसारी तब से लगातार यह केस लड़ रहे हैं. खास बात यह है कि यह पूरा केस वे अपने दम पर लड़ रहे हैं । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जब पांच साल पहले राम लल्ला और बाबरी मस्जिद के लिए जमीन बांटने की बात कही थी, तब भी हाशिम चर्चा में आए थे. बाबरी केस अब भी सुप्रीम कोर्ट में है ।

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दलित बच्ची की गैंगरेप कर पेट से आंत तक निकाल ली गयी मुस्लिम होने के कारण कांग्रेस उन दरिंदो को बचाने मे लगी हुई है

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केरल के एर्नाकुलम की 19 साल की जीशा के साथ 3 मई को Gang Rape हुआ। बलात्कारियों ने उसके प्राइवेट पार्ट्स में नुकीली चीज डालकर आंतें तक बाहर निकाल ली थीं, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। अभी तक मुख्य आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण हासिल है, क्योंकि वो मुसलमान हैं। केरल की “कांग्रेस सरकार” जानबूझकर उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही, क्योंकि इससे विधानसभा चुनाव में उन्हें मुसलमानो की और से नुकसान होगा।
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एकमात्र नरेन्द्र मोदी ही इस बहन बेटी की मां को मिलने जा रहे हैं (11 मई को).., बाकी सभी कोंग्रेसी-व् आप नेता चुनाव में मुसलमान वोटो हांसिल करने के लिए बलात्कारीयों को पैसे देंगे !!

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8 ही दिन में विदेशी पेयपदार्थों की हालत हुई खराब, स्वदेशी आंदोलन को मिली मजबूती…

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1मई से 15 मई तक विदेशी कोल्ड ड्रिंक्स के बहिष्कार का जो आव्हान किया गया था पूरे हिन्दुस्तान में इसका असर देखने को मिल रहा है । कहीं पर सड़कों पर फेंका गया तो कहीं शांती पूर्वक दुकानदारों को समझाया गया ❗️
      🚦देश की युवा पीढ़ी पर ज़्यादा असर होता हुआ दिख रहा है जो स्वदेशी आंदोलन की मज़बूती का संकेत दे रहा है । कई कालेजों में छात्रों ने शपथ तक ली है । बहुत ही प्रभावी ढंग से कोल्ड ड्रिंक बहिष्कार की अपील का असर हो रहा है ‼️
          🚦कोला व पैप्सी जैसी बड़ी कम्पनियों के पसीने छूट रहे है । इनके व्यापार के आँकड़े अब घाटे की तरफ़ बढ़ रहे है जो इनको कोल्ड ड्रिंक के व्यापार को बदलने की सोचने पर मजबूर कर रहा है । अभी हाल ही हमारे स्वदेशी अभियान के कारण ही कोलगेट जैसी कम्पनी के मुनाफ़े का ग्राफ़ बड़ी मात्रा में गिरा है ❗️
         🚦बाज़ारों में हमारे स्वदेशी पेय जैसे छाछ,नारियल व नींबू पानी की खपत अचानक बढ़ गई है जिसके कारण नींबू 100रू किलो तक बिकने लगा है ❗️
         🚦यह तो केवल अभी तीन दिन का असर है 12 दिन बाक़ी है निश्चित ही ये कोल्ड ड्रिंक के बहाने ज़हर बेचने वाली कम्पनियाँ तिलमिला उठेंगी❗️जो हमारी जीत ही होगी ‼️

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दो सगी बहनो ने एक ही व्यक्ति से शादी कर मनाई एक ही साथ सुहागरात

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पिछले हफ्ते मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में दो सगी आदिवासी बहनों ने एक ही पुरुष के साथ शादी कर ली।19 साल की भभूती और 18 साल की कविता, दोनों का एक ही पति है, 21 साल का नीमा। सहरिया जनजाति की इन बहनों में से बड़ी बहन भभूती शारीरिक रूप से अविकसित है, उसके हाथों का विकास नहीं हुआ है। ऐसा देखते हुए छोटी बहन कविता ने कसम ली थी कि वह उसी व्यक्ति से शादी करेगी, जो उसकी बड़ी बहन के साथ भी शादी करेगा।

राजस्थान के पहाड़ गांव का रहने वाला नीमा अब दोनों का पति है।शादी के बाद पहली बार अपने माइके आकर कविता ने कहा, ‘हम 4 भाई-बहन हैं, मेरे माता-पिता बूढ़े हो रहे हैं और भाई बहुत छोटे हैं, मुझे चिंता रहती थी कि मेरी बहन का खयाल कौन रखेगा।’ चेहरे पर मुस्कान लिए गर्व से कविता ने आगे कहा, ‘अब मैं निश्चिंत हूं, पति के साथ मिलकर मैं दीदी का खयाल रख पाऊंगी।

कविता कहती हैं, ‘दीदी की शारीरिक विकृति के कारण कोई उनसे शादी नहीं करना चाहता था, सारे रिश्ते मेरे लिए आते थे। जो भी मुझसे शादी के लिए तैयार होता था, मेरी बहन से शादी नहीं करना चाहता था।’ कविता ने बताया कि भभूती अनपढ़ नहीं है, दो बार स्कूल से निकाले जाने के बावजूद वह 11वीं तक पढ़ी है, वह पैरों से लिखती थी।

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कांग्रेस मुक्त भारत अभियान राजस्थान मे किताबो से पंडित नेहरू का नाम हटाया गया

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राजस्थान: वसुंधरा सरकार ने सोशल साइंस की किताब से पंडित नेहरू का नाम हटाया

राजस्थान में अाठवीं कक्षा की सोशल साइंस की किताबों में से पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम निकाल दिया गया है। किताब में इस बात का जिक्र ही नहीं है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे। हालांकि अभी ये किताब बाजार में बिक्री के लिए नहीं आई है। लेकिन राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल की वेबसाइड पर अपलोड की गई किताब की प्रति में महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, वीर सावरकर, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे बड़े नेताओं का नाम है, पर नेहरू समेत दूसरे कांग्रेसी नेताओं के नाम हटा दिए गए हैं। साथ ही गांधीजी की हत्या करने वाले नाथू राम गोड्से का भी जिक्र किताब में नहीं है।

यह किताब पाठ्यक्रम नवीनीकरण के नाम पर दुबारे लिखी गई हैं और राजस्थान बोर्ड की क्लास आठ में पढ़ाई जाएगी। किताब के पुराने एडीशन में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन चैप्टर में पं नेहरू के योगदान को मुख्य तौर पर बताया गया था साथ ही आजादी के बाद के भारत के चैप्टर में भी पं नेहरू और सरदार पटेल के सरकार बनाने में योगदान को भी प्रमुखता से बताया गया था। नए एडिशन के स्वतंत्रा आंदोलन के नए चैप्टर में पं नेहरू, सरोजनी नायडू, मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं का जिक्र नहीं है। आजादी के बाद के भारत पर अधारित चैप्टर में राजेन्द्र प्रसाद के भारत के पहले राष्ट्रपति के तौर पर और सरदार पटेल का भारत को एक करने के लिए दिए गए योगदान का जिक्र है लेकिन नेहरू के विषय में कुछ नहीं लिखा गया है।

जब इस चूक के विषय में स्कूल शिक्षा मंत्री वासूदेव देवनानी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ” इससे सरकार का और मेरा इस सबसे कुछ भी लेना-देना नहीं है। पाठ्यक्रम का नवीनीकरण का काम एक स्वतंत्र बॉडी ने किया है और सरकार की उनके काम में कोई दखल नहीं है।”

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