रानी नायिकी देवी सोलंकी की तलवार की वार ने मुहम्मद गोरी को नपुंसक बना दिया था।

naikiजय श्री राम मनीषा सिंह कि तेज कलम से ।
एक वीरांगना जिसको इतिहास से मिटा दिया गया ।
एक वीरांगना जिससे मुहम्मद गोरी थर्राता था ।
एक वीरांगना जिसने युद्ध में मुहम्मद गोरी की गुदा फाड़ कर रख दिया था अपनी तलवार की वार से ।
ऐसे वीरांगना को मुस्लिम तुष्ठिकरण करनेवालों ने मिटा दिया इतिहास से ।

मैकोले की शिक्षा पद्धति और वामपंथ रोग से ग्रषित इतिहासकार आपको यह सब इतिहास की कक्षा में कभी नहीं बताएँगे ।
इतिहासकारों ने भारत की इस वीरांगना का उल्लेख कभी नहीं करते हैं, जब वे भारत के महान महिलाओं का उल्लेख करते है तब ।
फिर भी, वह हर महिला सशक्तिकरण अभियान के (आइकॅन) अनुप्रतीक होने की हकदार हैं। महान भारतियों पर लिखी हर किताब की पहला अध्याय में होने चाहिये। उस महान वीरांगना का नाम है गुजरात की रानी नायिकी देवी ।
तारीख:

1178 ईस्वी
जगह:

माउंट आबू

ज़्यादातर लोगों को नहीं पता होगा मुहम्मद गोरी को दो चीज़ की नशा थी एक खून की दूसरा हवस की गोरी एक हवसी दरिन्दा था उनकी हवस की लत ने उसे नपुंसक बना दिया था, या वह नपुंसक पैदा हुआ था, या नायिकी देवी की तलवार ने उसे नपुंसक बना दिया था – यह हम नहीं जानते। मुहम्मद गोरी किसी को नहीं बक्श्ता था औरत , मर्द , बच्चे यौन-गुलाम बनाकर रखता था बाद में वह अपने यौन-गुलामों को अपने राज्य का वारिस बना दिया था । उसने जितने भी युद्ध किये उन सभी लड़ाईयों में जिहादी गोरी ने औरतों एवं नाबालिक कन्याओं का सामूहिक बलात्कार किया एवं वृद्ध पुरुष एवं वृद्ध महिलाओं को कसाइयों की तरह मौत के घाट उतार देता था । युवा , महिलाओं और बच्चों को यौन गुलाम बना दिया जाता था ।

भारत सबसे महत्वपूर्ण देश था जिहादियो के लिए पहला खलीफा शासन के बाद जिहादियो ने भारत पर कई आक्रमण किये पर कामयाब नहीं हो पाया भारत देश मूर्ति पूजको का देश रहा हैं प्राचीन आदि अनंत काल से इसलिए भारत को तबहा करना इनका हमेसा से कोशिश रहा एक भारत के अलावा सम्पूर्ण विश्व इनके कब्जे में आगया था और ६२० ईस्वी में इस्लाम के जन्म के साथ मूर्ति पूजको पर बहुत क्रूर अत्याचार किया गया था भारत के अलावा भी जितने भी मूर्ति पूजक देश थे उन सबका अस्तित्व मिटा दिया गया तलवार के बल पर भारत एक अंतिम मूर्ति पूजक देश रह गया कुरान के मुताबिक जिहादी हिन्दू महिलाओं, बच्चों, और पुरुषों के साथ कुछ भी करने को आसमानी किताब के अनुसार अधिकार रखते हैं । मुहम्मद गोरी मुल्तान जीतने के बाद (जो अभी पाकिस्तान के पंजाब में है). गुजरात के मार्ग से होते हुए भारत के अन्य राज्य को भी जिहाद के खुनी खेल से तबाह करना चाहता था ।

मुहम्मद गोरी ने गुजरात की रानी नायिकी देवी की खूबसूरती के बारे में काफी कुछ सुन रखा था । रानी नायिकी देवी अपने नवजात शिशु भीमदेव सोलंकी को साथ लेकर गुजरात की राजपाठ चलाती थी और गुजरात राज्य के धन समृद्धि से परिपूर्ण एक वैभवशाली राज्य था। इतना सब सुनने के बाद नरपिशाच मुहम्मद गोरी खुद को रोक नहीं पाया और ६५००० से ७३००० की बड़े पैमाने में जिहादी लूटेरो की सेना के साथ अन्हील्वारा गुजरात की राजधानी की और निकल पड़ा ।
रानी नायिकी देवी को ज्ञात था की उनका मुकाबला किस दरिन्दे से होनेवाला हैं उनके पास जितने भी सेना बल थे सबको इकत्रित कर के गुजरात की सीमा की और बड़ी और रानी नायिकी देवी ने रणनीति के तेहत अपनी सेनाओ को तैयार किया गुजरात सीमा के अन्दर आने से रोकना हैं बलात्कारी हत्यारों की सेना को गुजरात सीमा के बहार खदेरना हैं जितना संभव हो पाएगा ताकि कम से कम गुजरात की स्त्रियों एवं कन्याओं को भागने का वक़्त मिले या तो प्राण त्यागने तक का वक़्त मिले जिससे महिलाऐं एवं कन्या लूटेरो के हाथ से अपनी मान भंग एवं अश्मिता को लूटने से खुदको बचा पायें ।
दोनों सेना कायादारा में मिले गुजरात राजधानी से चालीस मिल दूर ।
गोरी ने सन्देश भेजा –“ रानी और उसके बच्चे को मुझे सौंप दो और तुम सभी अपनी अपनी महिलाओं एवं कन्याओं के साथ अपनी धन दौलत सब मुझे दे दो तो मैं तुम्हे बक्श दूंगा”
रानी घबरायी नहीं वह इसे सुन कर हंसी उसने (होनेवाले राजा) नवजात शिशु भीमदेव को अपने साथ बांध लिया और घोड़े पर सवार होकर गोरी के दूत को महारानी ने आदेश दिया बोली “जाओ जाकर गोरी से कह दो उनकी शर्तें मान लिया हैं हमने । ”
रानी नायिकी देवी द्वारकाधीश श्री कृष्णा के पास गई मौन रह कर कुछ क्षण प्रार्थना की और फिर जोर से बोल उठी ‘जय द्वारकाधीश “।
गोरी का दूत गोरी के पास आकर जैसे ही खुशखबरी सुनाता है की उनकी साड़ी शर्ते मान ली गयी हैं गोरी ख़ुशी से पागल हो जाता हैं वह आसान जीत की जश्न मानाने लगा । वह रानी एवं उनके प्यारे बच्चे के साथ कामवासना के सपने देखने लगा था।
नरपिशाच गोरी ने अपने शिविर से बहार निकलकर सोलंकी के सैन्य शिविर की और देखने लगा तभी उसे नज़र आया कोई घोड़े पर सवार होकर उसके सैन्य शिविर की और आ रहे थे । धुल उड़ना जैसे ही बंद हुआ और घुड़सवार हुए इंसान जैसे जैसे नज़दीक आते गए वह देखा की एक खुबसूरत महिला अपने बच्चे को अपने साथ बांधकर उसकी और आ रही हैं । अचानक से रानी नायिकी देवी की घोड़े की कदम रुक गई मुहम्मद गोरी असमंजस में रह गया अचानक रानी की घोड़े की कदम रुकते देख इससे पहले की वह कुछ समझ पाता उसने देखा उसके शिविरों की और हाथी एवं घोड़े के साथ रानी नायिकी देवी की सेनाओं का शैलब आ रहा हैं रानी की सैन्य का शैलाब रेगिस्तानी इलाके को घेर लिया था इससे पहले की गोरी वासना के स्वप्न से बहार निकलकर युद्ध के लिए तैयार होता तीन तरफ़ से वह और उसकी शिविर को घेर लिया गया था । मुहम्मद गोरी ने कहा “हिन्दू कैसे इतना तेजी से हमला कर सकता हैं जब की पैगम्बर ने बताया था की एक मुसलमान दस काफ़िर हिन्दू के बराबर हैं , मुझे लगा मुझे जन्नत की कुंवारी हूर से ज्यादा खुबसूरत औरत को भोगने का आनंद मिलेगा काफिरों की धरती पे ” । गोरी के पास अब कुछ समझने का वक़्त नहीं था वह घोड़े पे चढ़कर अपने शिविर के अन्दर आया । गुजरात के वीर राजपूतो ने एक के बाद एक जिहादी सुवरो को काटते रहे रानी नायिकी देवी के सेनापति ने बताया की क्यों भारतवर्ष को शेरो की धरती कहा जाता हैं । गोरी के पास केवल एक रास्ता बचा था अपनी जान बचाकर भागने का ।
रानी नायिकी देवी के दोनों हाथो में तलवार थी साक्षात् दुर्गा बन अवतारित हुयी रानी नायिकी देवी जी ने एक के बाद एक अनगिनत जिहादी आक्रमणकारियों की सर धर से अलग करती गई जो हाथ उसकी और बढ़ रहा था वह सारे हाथ एक के बाद एक काटती गयी अब गोरी की और बढ़ी जिहादी गोरी का दमन करने के लिये । गोरी उनकी (रानी नायिकी देवी) एक झलक पा कर डर के भागने लगा अभी रानी नायिकी देवी साक्षात् मृत्यु की स्वरुप बन गई थी वह तेज़ी से भागने लगा रानी ने एक तलवार फेंककर घोड़े की लगाम को खींचते हुए वह अपने शिकार की और चल पड़ी इस बिच जो भी उसके रास्ते में आया उन सब सुवरो के सर को धर से अलग करती गयी ।
अंत में वह अपने शिकार के काफी करीब पहुँच चुकी थी पूरी ताकत के साथ तलवार से हमला किया लेकिन चुक गई क्यों की गोरी के जिहादी सिपाही ने पीछे से हमला कर रानी नायिकी देवी को घायल कर दिया था और यह चुक भारत के इतिहास में बहुत महंगा साबित हुआ ।
रानी नायिकी देवी की तलवार की वार से जान तो बच गया परन्तु तलवार की वार इतनी तेज थी की गोरी अपना गुदा (anal) को नहीं बचा पाया पीछे का हिस्सा हड्डी के साथ निकल गया था इससे पहले की रानी नायिकी देवी दूसरा हमला करती , गोरी के ५०० जिहादी सुवरो ने रानी नायिकी देवी को घेर लिया और गोरी बच निकला ।
इसके बाद गोरी के जिहादी गुंडों के पीछा कर रानी नायिकी देवी की सेना ने कुचल डाला । गोरी इतना डर गया था की उसके घाव से खून बहने के बाद भी वह घोड़े से नहीं उतरा था मुल्तान लौट कर घोड़े से उतरा । गोरी ने अपने सैनिको को हुकुम दिया घोड़ा किसी हाल पे नहीं रुकना चाहिए उसे नींद आजाये या कितनी भी इलाज की ज़रूरत पड़ जाए पर घोड़ा मुल्तान गंतव्य पहुँच के ही रुकना चाहिए ऐसा हुकुम दे रखा था । और अगर घोड़ा कही रुक जाए थक कर तो उसे दुसरे घोड़े पे बैठा कर ले जाने का हुकुम दिया गया जब गोरी मुल्तान पहुंचा गोरी पूरी तरह से खून से लतपथ था उसे पता चला की आगे (गुप्तांग) और पीछे गुदा (हिंदी) , anal (english) खो चूका था हमेसा के लिए नपुंसक बन गया था रानी नायिकी देवी की तलवार की वार से ।
गोरी गुजरात पे दोबारा हमला करने के बारे में सोचने की हिम्मत तक नहीं किया। अगले १३ (तेराह) वर्षो तक भारतवर्ष पर गोरी ने आक्रमण नहीं किया था। दिल्ली नरेश सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने उस समय रानी नायिकी देवी की सहायता की थी कर्नल टॉड एवं अन्य पुस्तकों से यह साक्षय मिला दिल्ली नरेश सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने एक छत्र शाशन स्थापित कर के ५ राज्यों के राजाओं से रानी नायिकी देवी की सहायता के लिए सेना की टुकड़ी भेजी थी।
रानी नायिकी देवी की काल अवतार का दर्शन प्राप्त करने के बाद मानसिक रूप से एवं रानी नायिकी देवी की तलवार की वार से शारीरिक रूप से नपुंसक बनने के बाद गोरी की कामेच्छा हमेशा के लिए समाप्त हो गयी थी – मानसिक और शारीरिक रूप से । गोरी जब तक जीवित रहा वह उस राजपूतानी के तलवार की धार को कभी नहीं भुला पाया । लड़ाई के लिए अब वह असमर्थ हो चूका था उसे अब अपने दासो पर निर्भर होना पड़ा । उसे कोई बच्चा नहीं हो पाया इसलिए उसने अपनी साड़ी सम्पत्ति एवं राज्य उसके द्वारा बनाये गये यौन गुलामो में बाँट दिया अपनी जान बचाने के लिये ।

इस्लामी शासन एक मिथक:
रानी नायिकी देवी जैसी वीरता की मूर्ति यह साबित करती हैं की भारत में स्थायी रूप से इस्लामिक शासन कोई नहीं स्थापित कर पाया था ऐतिहासिक नक़्शे कासिम से लेकर औरंगजेब तक के शाशन काल तक का सब धोखा हैं अप्रमाणित हैं (वामपंथी इतिहासकारों ने 1957 से इतिहास लिखना शुरू किया था इन मार्क्स के लाल बंदरो ने जहा जहा मुस्लिम बहुल इलाके का नक्षा मिला 1939 से लेकर 1950 तक का उसीको औरंगजेब एवं मुग़ल , अफ़ग़ान , तुर्क इत्यादि लूटेरो की राजधानी बना दिया और उनके द्वारा शाशित किये गए राज्य बना दिए) ।
आक्रमणकारियों को रोका जाता था कही ना कही जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने मुग़ल के क्रूर शासक औरंगजेब की कब्र महारष्ट्र में ही खुदवा दिया पर उसके सम्पूर्ण दक्कन पे राज करने का ख्वाब पूरा नहीं हो पाया कभी ।
वामपंथ इतिहासकार ने इतिहास में मुगलों को भारत विजय का ताज पहना दिया हकीकत में हिन्दू राजाओ एवं दुर्गा स्वरुप रानी से पराजय होकर जिहादी लूटेरो को वापस अरब के रेगिस्तान में लौटना पड़ा ।

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