कोरोना वायरस से बचना है तो योग और आयुर्वेद से बढ़ाये रोग प्रतिरोधक छमता, हमेशा रहेंगें स्वस्थ।

योग और आयुर्वेद
जैसा कि आप सभी जानते है कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवाई नही बन पाई है जिससे कि हम कोरोना वायरस की चपेट मे आने पर किसी दवाई को लेकर ठीक हो सके। अभी अगर हम  इस बीमारी से लड़ सकते है तो वो है हमारी इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक छमता। तो आइए जानते है हम अपनी रोग प्रतिरोधक छमता को कैसे योग और आयुर्वेद से बढ़ाकर स्वस्थ रह सकते है।

योग से रोग प्रतिरोधक छमता बढ़ाये।
1) अनुलोम-विलोम प्राणायाम : इसमें दायीं नाक से दो सैकंड तक सांस लेकर चार सैकंड सांस काे राेककर बायीं नाक से एक सैकंड में सांस को छोड़ा जाता है। इसके बाद बायीं नाक से हमे यहीं प्रक्रिया वापस दाेहरानी होती है। इस योग को रोज सुबह 15 मिनट तक जरूर करे।
2)कपाल भांति प्राणायाम: यह प्राणयाम पदमासन लगाकर ध्यान मुद्रा में बैठकर किया जाता है। इसमें सांस को शरीर के अंदर लेकर बाहर की तरफ वापस निकालना पड़ता है। इस योग को रोज सुबह 15 मिनट तक करे।
3)त्रिकोणासन : त्रिकोणासन यानी त्रिभुज आसन। इस आसन को 30 सेकेंड तक 5 से 10 बार गहरी सांसें लेने तक किया जाता है। यह आसन हमारे रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाने वाले आसनों मे सबसे बढ़िया आसनों मैं से एक है।
4)भस्त्रिका योग : इस योग को सीधे बैठकर करे हमारी कमर सिद्धि होनी चाहिए।  मुंह को बंद करके नाक से लंबी सांस ले इसके बाद सांस को छोड़ दे । इस प्राणायाम को 5 मिनट तक करे।
5)भुजंगासन : भुजंगासन को सर्पासन भी कहते है क्योंकि यह सांप के उठे फन की तरह दिखाई देता देता है भुजंगासन सूर्य नमस्कार आसन का ही एक हिस्सा है। भुजंगासन को अष्टांग योग में बेसिक लेवल का आसन माना गया है । इसका अभ्यास हमे 15-30 सेकेंड तक 5-10 लंबी सांसें लेने तक करना चाहिए।
6)भ्रामरी : भ्रामरी प्राणायाम हमारी रोग प्रतिरोधक छमता को कई गुना बढ़ा देता है इस प्राणायाम को करने के लिए घर मैं किसी शांत जगह पर बैठ जाये अपने दोनों हाथों को सर के पास ले जाये अब अपने दोनों अंगूठो से कान के दोनों छिद्र को बंद कर दे। तर्जनी उंगली को माथे पर रख ले बाकी जो उंगलिया बची है उन तेने उंगलियो से अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। इसके बाद गहरी सांस ले और  ओम का उच्चारण करते हुए नाक से साँस को बाहर निकाले। 5 से 7 मिनट तक इस प्राणायाम को करना चाहिए।
7)ताड़ासन : इस आसन को करने के लिए जरूरी है आप खाली पेट हो। इस आसन को आप 20 सेकंड तक करे इस आसन से हमारा पाचनतंत्र बहुत मजबूत हो जाता है
8)योग निद्रा : आप एक स्वछ स्थान पर लेट जाएं। आंखों को बंद करे और सांस को बाहर निकलते हुए पक्षियों के कलरव को सुने। पैर की अंगुलियों पर ध्यान देकर सांस का ध्यान रखना चाहिए। अपनी हथेलियों को ऊपर की तरफ रखना चाहिए। दोनों पैरों के बीच एक फीट की दूरी हाेनी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया में हमे शरीर के हर एक अंग का ध्यान रखते हुए हमे अपनी सांस पर ध्यान देना चाहिए। इस दाैरान नींद नहीं आनी चाहिए। इस योग को आप रोज सुबह कम से कम 45 मिंट तक करे।
इन सभी योग के द्वारा हमारी रोगप्रतिरोधक छमता बोहोत बढ़ जाती ओर  हमारा मन एकाग्र होता जाता है और हमारे फेफड़ो की कार्यशीलता बढ़ती जाती है जिससे कि शरीर में मन, बुद्धि, चेतना का विकास विस्तार  दिन प्रतिदिन होता रहता है।
आयुर्वेद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये।
रसायन आयुर्वेद मे रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि में बहुत मददगार होते हैं। यहाँ रसायन का मतलब केमिकल बिल्कुल भी नहीं है। कोई भी ऐसा प्रॉडक्ट जो एंटिऑक्सिडेंट हो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो और स्ट्रेस को कम करटता हो उसको रसायन कहते है। जैसे कि त्रिफला, ब्रह्मा रसायन आदि, लेकिन च्यवनप्राश को आयुर्वेद में सबसे अच्छा रसायन माना गया है। क्योंकि इसे बनाने में मुख्य रूप से ताज़े आंवले का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अश्वगंधा, शतावरी, गिलोय समेत 40 जड़ी बूटियां डाली जाती हैं। अगर अलग करके देखें तो आंवला, अश्वगंधा, गिलोय ओर शतावरी का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में जबर्दस्त योगदान है। मेडिकल साइंस की माने तो अगर हमारे शरीर में आईजीई का लेवल कम होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। यह भी देखा गया है कि च्यवनप्राश खाने से शरीर में आईजीई का लेवल कम हो जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में, हल्दी, अश्वगंधा, आंवला, शिलाजीत, मुलहठी, तुलसी, लहसुन, गिलोय जैसी ओषधियाँ खास है।
जंक फूड से जितना ही सके उतना बचे क्योंकि जंक फूड हमारे पाचन तंत्र को कमजोर करता है जिससे कि हमारी रोग प्रतिरोधक छमता कम हो जाती है।

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